अफगानिस्तान में गृह युद्ध और आशांति के बारे में सब जानकरिया

परिचय

अफगानिस्तान Land Lock क्षेत्र है अर्थात इसकी किसी भी समुंद्र से सीमा नहीं मिलती अफगानिस्तान का भौगोलिक क्षेत्र यूरेशिया मध्य एशिया और दक्षिण एशिया में जाने के लिए केंद्रीय स्थान है यही कारण है कि अफगानिस्तान अलेक्जेंडर हो या ब्रिटिश शासन के द्वारा नियंत्रित किया गया अफगानिस्तान हमेशा से ही  अस्थिर रहा है क्योंकि किसी ना किसी भारी ताकत ने अफगानिस्तान में अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश की है

afghanistan ka naksha


अफगानिस्तान में अशांति के मुख्य कारण

  • अफगानिस्तान पर आक्रमण करना बेहद आसान है.
  • अफगानिस्तान को आक्रमण के बाद में जीतना बेहद मुश्किल है.
  • और अगर कोई अफगानिस्तान पर विजयपाल ले तो शांतिप्रिय ढंग से शासन करना बहुत कठिन है .

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • अंग्रेजों की बांटो और शासन करो पद्धति के कारण डूरंड लाइन बनने से अफगानिस्तान की पश्तून आबादी दो भागों में बैठ गई एक अफगानिस्तान की ओर और दूसरी पाकिस्तान की ओर .
  • अफगानिस्तान की कुल भूभाग की 12% जमीन ही खेती योग्य है अर्थात  जोतने योग्य है .
  • अफगानिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा अफीम उत्पादक देश है .
  • विभिन्न युद्धों के कारण अफगानिस्तान के कई लोग शरणार्थी बनकर पाकिस्तान और ईरान में रहते हैं .
  • पाकिस्तान और अफगानिस्तान को जोड़ने वाला दर्रा खेबर दर्रा है.

अफगानिस्तान में शासन का महान खेल

जब रसिया और ब्रिटिश दोनों अपना प्रभुत्व सेंट्रल एशिया में बनाने के लिए होड़ में थे तब रूस ने समुद्री रास्ता पाने के लिए अफगानिस्तान की और कुछ की, ब्रिटिश और रूस के बीच यहां लड़ाई अभी हुई लेकिन 1919 की ट्रीटी अर्थात संधि के बाद अफगानिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया गया क्योंकि यहां अंग्रेजों का दखल खत्म हो गया तत्पश्चात रूस और ब्रिटिश शासन के बीच अफगानिस्तान एक बफर जोन बन गया जहां दोनों  का दखल नहीं रहा .

आजाद होने के बाद अफगानिस्तान द्वितीय विश्वयुद्ध और शीत युद्ध दोनों के बीच न्यूट्रल रहा अर्थात किसी भी देश का पक्ष नहीं लिया |

राजा जाहिर शाह द्वारा 1960 में अफगानिस्तान में लाए गए आधुनिक कानून

  1. चुनावी प्रक्रिया को लाना .
  2. लोगों को राजनीतिक अधिकार देना .
  3. महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देना और विभिन्न यूनिवर्सिटी खोलना .

लेकिन 1973 में जाहिर खान के भाई ने जिनका नाम दाऊद खान है ने शासन से जहीर खान को बेदखल कर दिया, और यह राजा ने बनकर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति बन गए और इसके साथ-साथ वहां के प्रधानमंत्री भी बन गए अर्थात प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों ही बन गई .

लेकिन 1978 में अफगानिस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी PDPA जिसका पूरा नाम है पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ अफगानिस्तान मैं क्रांति लाकर तख्तापलट कर दिया  .

पीडीपी के आने के बाद अफगानिस्तान मैं जाहिर शाह के काम को जारी रखा गया इसके साथ-साथ साम्राज्यवादी नीतियों के होने के कारण वहां जमीनी कानून भी लाए गए अर्थात किसी भी व्यक्ति के पास हद से अधिक जमीन रखने का अधिकार नहीं रहने दिया इसके साथ साथ ग्रामीण क्षेत्र में इनकी नीतियों के खिलाफ विद्रोह छिड़ा क्योंकि वह किसी भी प्रकार का जमीनी दखल अपनी जमीन में पसंद नहीं करते थे वह कानून और टैक्स भरने आदि में विश्वास नहीं रखते थे .

लेकिन PDPA ने इस विद्रोह को पूरी तरह खत्म कर दिया अर्थात विद्रोह का दमन कर दिया लेकिन यह दमन एक जगह खत्म होता तो दूसरी जगह शुरू हो जाता इन्हीं कारणों की वजह से यह सरकार धीरे-धीरे अस्थिर होती जा रही थी जा रही थी .

अशांति के बीच  अफगानिस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी ने यूएसएसआर(USSR) से मदद मांगी

यूएसएसआर से मांगे गए हथियार और सलाहकार शांति को बनाए रखने में अफगानिस्तान में  अक्षम रहे और बाद में यूएसएसआर ने अपने टैंक और मिलिट्री आई स्थिरता को नियंत्रित करने के लिए भेजी

चलिए  समझते हैं यूएसएसआर में अपनी आर्मी क्यों भेजी

  • PDPA मैं आपस में टकराव हो रहे थे अर्थात अफगानिस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी में दो घुट बन गए थे
  • PDPA के आपसी टकराव के बाद वहां एक गुट तख्तापलट करके शासन में आ गया और उस गु टका राष्ट्रपति हफीजुल्लाह बना लेकिन यह राष्ट्रपति सिर्फ 3 महीने तक ही टिका
  • क्योंकि सोवियत यूनियन को यह राष्ट्रपति पसंद नहीं था इस कारण हफीजुल्लाह को मार दिया गया
  • ग्रामीण क्षेत्रों में अफगानिस्तान में जगह-जगह विद्रोह उठ रहा था इसका मुख्य कारण भूमि कानून को लाना और महिला शिक्षा को बढ़ावा देना था क्योंकि पुराने विचार के रूढ़िवादी लोग इन नियमों के सख्त खिलाफ थे
  • सोवियत यूनियन नहीं चाहता था कि ईरान में फैल रहा है इस्लामिक शासन मध्य एशिया तक फैल जाए

क्रिसमस इव 1979 को सोवियत आर्मी अफगानिस्तान में आ पहुंची christmas  ev का यहां अर्थ 24 दिसंबर है

अफगानिस्तान मैं सोवियत यूनियन की आर्मी का आने का दुनिया भर के 34 मुस्लिम देशों ने कड़ी निंदा की और इसके साथ-साथ यूनाइटेड नेशन ने भी निंदा की उनका मानना था कि आप ऐसे कैसे किसी राष्ट्र पर हमला कर सकते हैं ,यह अफगानिस्तान का आंतरिक मामला है

लेकिन सोवियत यूनियन ने किसी भी राष्ट्र की एक भी नहीं सुनी और अफगानिस्तान के सहारे शहरों पर कब्ज़ा कर दिया और इसके साथ-साथ वहां की दूरसंचार व्यवस्था अर्थात टेलीविजन रेडियो आदि पर भी नियंत्रण कर लिया |

सोवियत यूनियन एक कम्युनिस्ट समूह  था जो किसी भी प्रकार के धर्म और ईश्वर में विश्वास नहीं रखता था,इन कारणों से अफगानिस्तान के ग्रामीण क्षेत्रों में वहां के आदिवासियों ने सोवियत यूनियन के खिलाफ "Holy War " की घोषणा कर दी , अर्थात जिहाद की घोषणा कर दी और हमला करने वाले व्यक्तियों को मुजाहिदीन नाम दिया गया अर्थात मुजाहिदीन लड़ाके

  • इस जिहाद में लड़ने के लिए पूरी दुनिया से अलग अलग जवान आकर शामिल होने लगे चाहे वह पाकिस्तान को अफगानिस्तान के आंतरिक हो या बाहरी देश तुर्की के हो
  • इन जिहादियों को युद्ध लड़ने के लिए अमेरिका पाकिस्तान तुर्की सऊदी अरब चीन आदि देशों का समर्थन था उन्होंने इन जिहादियों को हथियार मुहैया करवाए .

चीन का इन विद्रोहियों का समर्थन करने का मुख्य कारण 1962 में रूस के साथ झड़प होना था इसलिए चीन ने भी विद्रोहियों का साथ दिया अर्थात उनका समर्थन किया |

आप तस्वीरों में नीचे देख सकते हैं कि उस जमाने में प्रोपेगेंडा पिक्चर किस प्रकार चलाए जाते थे ताकि लोग जिहाद के नाम पर विद्रोहियों का साथ दे सके जिसमें एक व्यक्ति कम्युनिस्ट झंडे के ऊपर राइफल लेकर खड़ा है और दूसरे हाथ मेंviral jihad photo in afghanistan

जिहादियों द्वारा सोवियत यूनियन को हराने के लिए छापामार युद्ध पद्धति को अपनाया गया अर्थात घात लगाकर हमला करने की पद्धति को इसे गुरिल्ला वार फेयर तकनीक भी कहते हैं जैसे कि आप तस्वीरों में देख रहे हैं कुछ लोग पहाड़ों पर खड़े हैं

यहां तक कि इन जिहादियों को समर्थन के लिए सऊदी अरब का सबसे अमीर खानदान का युवा ओसामा भी इन जिहादियों के समर्थन में आया और आगे जाकर सबसे खतरनाक आतंकवादी बना नीचे दी गई तस्वीर उसके 1980 की तस्वीर है

osama bin laden in 1980


आप नीचे दी गई तस्वीर में देख सकते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति से मिलने के लिए अफगानिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों से आदिवासी नेता जोकि मुजाहिदीन गुटों के नेता हैं आए हुए हैं

american president with taliban

वहां अलग-अलग गुटों के मुजाहि दो में से एक ग्रुप के लीडर अहमद शाह मसूद बेहद प्रचलित रहे

युद्ध धीरे-धीरे स्टील मेट की ओर आया अर्थात दोनों और से किसी की भी जीत नहीं हो पा रही थी ने तो सोवियत यूनियन ग्रामीण क्षेत्रों पर कब्जा कर पा रहा था और ने ही मुजाहिद ओके गुड शहरों पर कब्जा कर पा रहे थे लेकिन युद्ध के बीच Stinger मिसाइल जोकि जमीन से हवा पर वार करती है ने पूरा खेल बदल दिया

stinger missile in hindi

 1985 के बाद अमेरिका ने स्ट्रेंजर मिसाइल मुजाहिदो को सप्लाई करना शुरू कर दिया जिससे मुजाहिद अर्थात अफगानिस्तान के विद्रोही लड़ाके सोवियत यूनियन के विमानों को आसानी से निशाना बना पा रहे थे

इससे सोवियत यूनियन को झटका लगा और वे युद्ध में थोड़ा सा पीछे हटे

1985 में नए लीडर के आने से बदलाव

  • Gorbachev के लीडर बनने के बाद उन्होंने सोवियत यूनियन में नए बदलाव लाए जिनमें से एक बदलाव था कि सोवियत यूनियन अब बाहर के देशों में अपनी सेना ही नहीं भेजेगा जहां उनका कोई लेना-देना ही नहीं है
  • Gorbachev ने 1986 के बाद धीरे-धीरे अफगानिस्तान से आर्मी को कम करना शुरू कर दिया
  • 1986 में सोवियत यूनियन ने वहां की एक कम्युनिस्ट सरकार खड़ी की
  • 1989 आते-आते सारे सोवियत यूनियन की सेनाएं पूरी तरह अफगानिस्तान छोड़कर चली गई

सोवियत यूनियन के जाते ही वहां के स्थानीय समूह आपस में एक दूसरे से लड़ने लगे

इस फिराक में वहां के स्थानीय गुट स्वयं का कब्जा हासिल करने के लिए एक दूसरे पर घात लगाकर युद्ध करने लगे इस आपसी लड़ाई से शुरू होता है अफगानिस्तान गृह युद्ध अर्थात अफगानिस्तान सिविल वॉर यह युद्ध 1989 से 1996 तक चला

1991 में सोवियत यूनियन के विघटन होने के बाद अफगानिस्तान की स्थानीय सरकार नजीबुल्लाह को यूएसएसआर का समर्थन मिलना बंद हो गया क्योंकि नजीबुल्लाह जो कि अफगानिस्तान की कांग्रेस पार्टी के नेता थे

की भी सरकार अफगानिस्तान में गिर गई 1992 मैं अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में वहां के स्थानीय गुटों ने एक मिली जुली सरकार बनाई जो कि आपसी असहमति के कारण केवल 1996 तक ही चली

अंततः अफगानिस्तान में एक तालिबान नाम का गुट उभर कर आया जो कि अफगानिस्तान के दक्षिणी कंधार से था के लोगों का मानना था कि तालिबान की शुरुआत पाकिस्तान के शरणार्थी शिविरों से हुआ है लेकिन धीरे-धीरे अफगानिस्तान मैं में पसरता आ गया

तालिबान ने धीरे-धीरे अपना वर्चस्व बढ़ाया और अफगानिस्तान की राजधानी काबुल तक नियंत्रण पा लिया

taliban control area in hindi

जैसा कि आप ऊपर नक्शे में देख सकते हैं कि पूरा पीला क्षेत्र तालिबान के नियंत्रण में है

और ऊपरी भाग अहमद शाह मसूद और उनके साथ हरा कलर वाला भाग है

और 2001 तक पूरी तरह तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया .

सितंबर 2001 को तालिबान ने अहमद शाह मसूद की हत्या करवा दी यह हत्या 9/11 के हमले के 2 दिन पहले हुई थी |

चलिए अब तालिबान के शासन के बारे में 1996-2001) 

  • तालिबान के तालिब शब्द का अर्थ छात्र होता है.
  • इनके लीडर मौलाना उमर थे .
  • 5 साल इन्होंने अफगानिस्तान पर राज किया .
  • इस सरकार को मिलिट्री सपोर्ट पाकिस्तान का हासिल था .
  • तालिबान सरकार में अफगानिस्तान में कड़ा शरिया कानून लागू कर दिया .
  • बेहद उच्च स्तर पर मानवाधिकार का उल्लंघन होने लगा |

तालिबान के इन कानूनों के कारण महिलाएं सबसे ज्यादा शिकार हुई उनको ने तो शिक्षा मिलती और ने ही बाहर घूमने की आजादी थी.

  • 2002 के एक सर्वे के मुताबिक दुनिया में महिला के लिए सबसे भयावह देश अफगानिस्तान था .
  • धीरे धीरे तालिबान के समर्थन से अल कायदा विकसित हुआ जो कि एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूह था.
  • अल कायदा एक इस्लामिक अंतरराष्ट्रीय संगठन था जो एक्सट्रीम इस्लाम को मानता था .
  • अल कायदा ने तालिबान सरकार की शरण में अपने ट्रेनिंग सेंटर अफगानिस्तान में बनाएं .
  • इसके मुख्य लीडर ओसामा बिन लादेन और अल जवाहिरी थे .
  • अलकायदा द्वारा किए गए मुख्य हमले .
  • वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 1993 में किया गया बम विस्फोट .
  • 1998 में अफ्रीका में स्थित अमेरिका के दो दूतावासों पर हमले .

9/11 का सबसे बड़ा हमला जिसमें चार प्लेन हाईजैक  कर 2 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, 1 पेंटागन में क्रैश किया गया और एक मैदानी इलाके में जा गिरा मैदानी इलाके वाले प्लेन का मुख्य लक्ष्य वाइट हाउस था यह आज तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है(3000 लोगों की मौत) 

9/11 ATTACK BY OSAMA BIN LADEN

Madrid ट्रेन बोम्बिंग 2004

9/11 के हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने आतंकवाद के खिलाफ जंग छेड़ दी उन्होंने अंग्रेजी में एक नारा दिया " either you are with us or against us "

इस नारे से जॉर्ज बुश ने कहा कि सभी देश अपने देश में पल रहे आतंकी गुटों को समर्थन देना बंद कर दे

इसमें तालिबान को भी चेतावनी दी गई कि या तो वह ओसामा बिन लादेन को अमेरिका को सौंप दें और अलकायदा के ट्रेनिंग सेंटर को अफगानिस्तान से हटा दें |

ऑपरेशन एंडोरिंग फ्रीडम 2001 से 2014

  • तालिबान का ओसामा बिन लादेन को देने से इनकार करने के बाद अमेरिका ने ऑपरेशन एंडोरिंग फ्रीडम की घोषणा की जो कि 2001 से 2014 तक चला। 
  • ऑपरेशन के 2 महीने के अंदर अंदर ही तालिबान की सरकार गिर गई और तालिबान के लड़ाके पहाड़ियों में चले गए अर्थात कई सालों के लिए छुप गए। 
  •  उसके बाद यूएन सिक्योरिटी काउंसिल अर्थात अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा समिति ने अफगानिस्तान के लिए ISAF की घोषणा की  जिसका पूरा नाम International Security assistance force. 

 2001 से 2014 तक हामिद करजई इंटरनेशनल सिक्योरिटी असिस्टेंट फोर्स के लीडर रहे

 हमिद कर्जई 2004 वे 2009 में चुनाव जीतकर लगभग 13 साल शासन किया | 

तालिबान का फिर से उदय

  • तालिबान ने पुरानी अपनाई गई छापे मार पद्धति वापस काम में लेना शुरू की
  •  20 साल पहले अमेरिका द्वारा दिए गए हथियार जो सोवियत यूनियन से लड़ने के लिए दिए गए थे अब अमेरिका के खुद के खिलाफ काम में लिए जाने लगे
  •  रोड के नीचे आईडी बम लगाकर गाड़ियों को उड़ाने वाले हमले भी किए जाने लगे
  •  इस युद्ध को एक असमांतर युद्ध पद्धति भी कहते हैं क्योंकि एक तरफ तो आर्मी थी और एक तरफ छुप-छुपकर हमले हो रहे थे
  •  2015 में तालिबान ने वहां के एक राज्य की राजधानी कुंदूज पर कब्जा जमा लिया था | 

 मई 2011 में ओसामा बिन लादेन को अमेरिका द्वारा पाकिस्तान में मार दिया गया

 वर्तमान में भी अफगानिस्तान की स्थानीय सरकार और तालिबान के बीच युद्ध चल रहा है हालांकि 2019 -20 में अमेरिका ने यहां शांति स्थापित करने की कोशिश की थी

वर्तमान में अमेरिका द्वारा स्थपित अफग़ानि सेना और तालिबान के बीच क्षेत्रो को नियन्त्रित करने को लेकर संघर्ष चलता रहता है | 

अफ़ग़ानिस्तान में मानवाधिकारों का उल्लंघन 

अफ़ग़ानिस्तान में हज़ारो लोगो ने इस गृह युद्ध में अपनी जान गवाई ,तालिबान द्वारा आत्मघाती हमले अक्सर अफ़ग़ानिस्तान में होते रहते हे ,यहाँ महिलाओ  स्थिति बहुत ज्यादा खराब है | 




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