स्वेज नहर और स्वेज नहर संकट के बारे में संपूर्ण जानकारियां

स्वेज संकट( Suez Crisis ) क्या है ? 

  • अक्टूबर 1956 से लेकर मार्च 1957 के बीच मध्य पूर्व जिसे पश्चिमी एशिया भी कहते हैं में स्वेज नहर पर अंतरराष्ट्रीय संकट को स्वेज संकट कहते हैं 
  • स्वेज संकट की स्थिति इजिप्ट के राष्ट्रपति गमल अब्देल नसीर द्वारा स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण करने के बाद उत्पन्न हुई.
  • इस संकट में ब्रिटिश फ्रांसीसी और इजराइली सेनाओं द्वारा इजिप्ट में घुसपैठ की गई
  • संयुक्त राष्ट्र संघ, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका एवं यूएसएसआर द्वारा अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद इन देशों की सेनाओं ने इजिप्ट से वापसी की.
  • यह अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति में एक महत्वपूर्ण बिंदु रही

स्वेज नहर का इतिहास

  • स्वेज नहर स्वेज की खाड़ी को मध्य सागर से जोड़ती है
  • Ferdinand De Lesseps ने इजिप्ट के पाशा से अनुमति लेकर 1859 में स्वेज नहर का निर्माण कार्य शुरू किया
  • स्वेज नहर का निर्माण 25 सितंबर 1859 को शुरू हुआ जो 17 नवंबर 1869 को समाप्त हुआ
  • इसे बनाने वाली कंपनी ने स्वेज नहर को 99 वर्ष किराए पर संचालित करने की अनुमति मिली थी
  • स्वेज नहर की लंबाई 193.3 किलोमीटर है.
  • इस नहर के बनने से लंदन से मुंबई पहुंचने की यात्रा लगभग 8000 किलोमीटर छोटी हो गई जहां पहले लंदन से मुंबई पहुंचने में 20000 किलोमीटर लगते थे वहां इसके निर्माण के बाद सिर्फ 11500 हजार से 12000 किलोमीटर ही लगते हैं.

Stakeholder(हितधारक)और ब्रिटिश कंपनी का दबदबा

  • स्वेज नहर का निर्माण करने वाली कंपनी में बहुसंख्यक स्टेकहोल्डर फ्रांस के थे
  • शुरुआती दौर में ब्रिटेन ने स्वेज नहर के निर्माण का विरोध किया था लेकिन जब इसके संपूर्ण निर्माण में केवल 5 वर्ष बच्चे थे तब ब्रिटेन ने भी कंपनी से शेयर खरीदे
  • मिस्र के पाशा के खिलाफ अरबी विद्रोह को दबाने के लिए ब्रिटेन ने मिस्र के पाशा की मदद की जिससे वे ब्रिटेन के दबदबे में रहा, यह 1882 मैं हुआ  जहां  ब्रिटेन ने सेना भेज कर विद्रोह दबाया था , इससे मिस्त्र पर ब्रिटेेन का नियंत्रण रहा

मिस्र में गतिविधियां

  • 1922 में मिश्र को नाम मात्र की आजादी मिली  इसके बाद ब्रिटेन ने 1936 में  20 वर्ष के लिए स्वेज नहर के पास अपनी सेना रखने की संधि की जो लगभग 1956 तक रहने वाली संधि थी.
  • जो आगे जाकर स्वेज नहर के संकट का मुख्य कारण बनी

मिस्र के राष्ट्रपति द्वारा विभिन्न देशों से दुश्मनी
स्वेज नहर संकट और मिस्र के राष्ट्रपति जमाल
मिस्र के राष्ट्रपति

  • ब्रिटेन और फ्रांस को स्वेज नहर के राष्ट्रीयकरण से नाराज किया
  • अमेरिका और पश्चिमी देशों को पीपल रिपब्लिक ऑफ चाइना अर्थात चीन की साम्यवादी सरकार को मान्यता देकर नाराज किया क्योंकि उस समय ताइवान को ही पश्चिमी देश और अमेरिका पहचानता था
  • इजराइल को तेहरान की खाड़ी से प्रतिबंधित करके एवं फिलिस्तीनी फिदायीन का समर्थन करके नाराज किया
  • फ्रांस की कॉलोनी अल्जीरिया में विद्रोहियों का समर्थन करके फ्रांस को नाराज किया क्योंकि फ्रांस अल्जीरिया को अपने नियंत्रण में रखना चाहता था लेकिन 12 वर्ष बाद अल्जीरिया को भी आजादी मिली, बता दें कि यह आजादी बेहद उच्च स्तर पर हिंसा के बाद मिली

1956 के युद्ध का विश्लेषण

  • इजराइल द्वारा मिस्र के खिलाफ आत्मरक्षा का बहाना बनाकर युद्ध की घोषणा की गई 
  • 29 अक्टूबर को इस युद्ध की घोषणा हुई थी
  • 30 अक्टूबर को फ्रांस और ब्रिटेन जो कि इजरायल के गुप्त रूप से साथी थे दोनों ने इसराइल और मिस्र की सेनाओं को मिस्र से पीछे हटने के लिए कहा
  • 31 अक्टूबर को फ्रांस और ब्रिटेन की एयर फोर्स द्वारा मिस्र पर हवाई हमले किए गए
  • 5 से 6 अक्टूबर को फ्रांस और ब्रिटेन की सेनाओं द्वारा पोर्ट सईद को नियंत्रण में लिया गया
  • इस युद्ध में मिस्र की हार के बाद मिश्र ने बदला लेने के लिए स्वेज नहर में पश्चिमी देशों और ब्रिटेन के कई जहाजों को डुबो दिया बता दें कि बाद में दूसरे जहाजों के निकलने के लिए कोई जगह नहीं बची थी डूबे हुए जहाजों को साफ करने में लगभग 6 महीने का समय लगा जब तक स्वेज नहर बंद रही

स्वेज नहर संकट के समय युद्ध के परिणाम
स्वेज नहर युद्ध के परिणाम
युद्ध से जानमाल को हानियां

  • यह युद्ध सैन्य रूप से सफल रहा क्योंकि इजराइल फ्रांस और ब्रिटेन मिस्र पर चेन्नई रूप से सफल रहे
  • फ्रांस के सैनिक अंत से स्वेज नहर पर कब्जा करने में सफल रहे
  • स्वेज नहर संकट का यह युद्ध राजनीतिक रूप से फ्रांस ब्रिटेन और इजरायल के लिए बिल्कुल विफल रहा क्योंकि यूनाइटेड नेशन एवं सोवियत यूनियन संघ ने इन देशों पर अपनी कार्रवाई के खिलाफ दबदबा बनाना शुरू कर दिया था

स्वेज नहर संकट के समय विश्व की प्रतिक्रिया

  • इजराइल और ब्रिटेन पर अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे यह प्रतिबंध तब तक है जब तक इजराइल की आर्मी मित्र के क्षेत्रों को छोड़ ना दें
  • सोवियत यूनियन के लीडर निकिता ने ब्रिटेन फ्रांस और इजरायल को न्यूक्लियर हमले की धमकी दी यदि वह मिस्र के भूभाग से अपनी सेनाएं वापस नहीं बुलाते तो
  • भारत के प्रधानमंत्री नेहरू ने इस मामले में संयुक्त राष्ट्र को हल निकालने के लिए कहा
  • ब्रिटेन के लोगों ने भी इस कार्रवाई का विरोध किया क्योंकि ब्रिटेन विश्व युद्ध के बाद आर्थिक रूप से लगभग पूरी तरह नहीं उभरा था इस कारण वहां के लोग नहीं चाहते थे कि किसी प्रकार से ब्रिटेन पर कोई आर्थिक पाबंदी लगे और अर्थव्यवस्था मंदि में जाए
  • अमेरिका ने ब्रिटेन की इस कार्रवाई का बिना उनकी जानकारी के करने का भी दुख जताया
  • ऐसी स्थिति बनने के बाद 6 नवंबर 1956 को ब्रिटेन और फ्रांस ने सीजफायर की घोषणा कर दी इसके बाद दिसंबर में अपनी सेनाओं की वापसी भी कर ली
  • इजराइल शुरुआती रूप में अपनी सेनाओं की वापसी करने के लिए नहीं माना लेकिन दिसंबर से धीरे-धीरे सेनाओं की वापसी करना शुरू कर दिया बाद में मार्च 1957 तक पूरे पेनिनसुला से अपनी सेनाओं को वापस बुला लिया
  • इस घटनाक्रम में कनाडा के विदेश मंत्री ने यूनाइटेड नेशन अमरजेंसी फोर्स की घोषणा करने की बात कही बाद में अमेरिका ने इसकी स्थापना की जिससे कनाडा के विदेश मंत्री को 1957 में नोबेल पुरस्कार भी मिला

स्वेज नहर संकट समाप्त होने के बाद की स्थितियों में परिणाम

  • मिस्र के राष्ट्रपति को अरब दुनिया का लीडर माना जाने लगा एवं मिस्र में राष्ट्रवाद के हीरो भी माना जाने लगा
  • इजराइल मिस्र कि स्वेज नहर पर कब्जा नहीं कर पाया लेकिन तेहरान की खाड़ी में अपनी शिपिंग जहाज ले जाने के हक में सफल रहा क्योंकि बाद में तेहरान की खाड़ी का प्रतिबंध इजराइल से हट गया था
  • ब्रिटेन ने फ्रांस से पहले मिस्र से सबसे पहले अपनी सेना हटाई थी वह भी फ्रांस को बिना जानकारी दिए इस कारण फ्रांस ने बाद मे ब्रिटेन पर आंख बंद करके भरोसा करना बंद कर दिया.
  • ब्रिटेन की विश्व पावर के रूप में पूरे विश्व भर से प्रतिभा कम हुई
  • मध्य पूर्व में ब्रिटेन की बजाय अमेरिका अधिक प्रभावशाली बना

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ